5 SIMPLE TECHNIQUES FOR मध्यकालीन भारत का इतिहास

5 Simple Techniques For मध्यकालीन भारत का इतिहास

5 Simple Techniques For मध्यकालीन भारत का इतिहास

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मध्यकालीन भारतीय इतिहास के पुरातात्त्विक स्रोत

अकबर एक योग्य महान शासक था, जिसने मुगल साम्राज्य को सर्वाधिक विस्तारित किया था। इसके साथ ही अकबर ने हिंदू एवं मुस्लिमों के बीच की दूरियों को कम करने के लिए दीन-ए-इलाही धर्म की स्थापना करके धार्मिक सहिष्णुता एवं उधार राजनीति का भी परिचय दिया था।

वास्तव में, मिनहाज में ऐतिहासिक घटनाओं को समझने और उनका विश्लेषण करने की क्षमता थी। उसने सरल भाषा में घटनाओं का क्रमानुसार विवरण दिया है। वह लिखता है कि बादशाहों में ऐसे गुण होने चाहिए, जिससे प्रजा तथा लाव-लश्कर संतुष्ट रह सके; भोग-विलास तथा दुष्टों और दुराचारियों के मेल से राज्य का पतन हो जाता है। फरिश्ता ने तबकात-ए-नासिरी को ‘उच्चकोटि का ग्रंथ’ बताया है। एलफिंस्टन, स्टेवार्ट तथा मार्ले ने भी इसकी प्रशंसा की है। तबकात-ए-नासिरी का अंग्रेजी अनुवाद रेवर्टी ने किया है।

अकबरनामा के अध्ययन से लगता है कि अबुल फजल का उद्देश्य अकबर के व्यक्तित्व के उज्ज्वल पक्ष को विश्व के सामने रखना था। वह अकबर की ‘सुलहकुल की नीति’ को जनता तक पहुँचाना चाहता था। उसका मानना था कि पादशाहत ख़ुदा की देन है और अकबर एक पादशाह से कहीं अधिक महान् था। उसने अकबर को ‘इंसाने-कामिल’ और ‘दैवी प्रकाश’ की संज्ञा दी है, जिससे कोई गलती हो ही नहीं सकती।

इस किताब को अब्दुल कादिर बदायूनी ने लिखा है, जो अकबर के शासन के दौरान अरबी, फारसी और संस्कृत का एक विद्वान था। बदायूँनी, अबुल फज़ल का छात्र था, और अकबर द्वारा अबुल फज़ल को अधिक सम्मान दिए जाने के कारण वह उससे ईर्ष्या भी करता था। बदायूँनी धीरे-धीरे कट्टरपंथी सुन्नियों के समूह के समर्थक बन गया। इस कारन अकबर उससे नाराज हो गया और उसे दरबार में रहकर विभिन्न ऐतिहसिक लेखों का फारसी में अनुवाद करने को कहा। उसने अपने कई मूल लेखों के अलावा अरबी और संस्कृत के कई ग्रंथों का फारसी में जनरल नॉलेज अनुवाद किया है। उसके मूल ग्रंथों में तारीख-ए-बदायूँनी को सबसे अच्छा ऐतिहासिक ग्रन्थ माना गया है।

एम. अशरफ ने इसे ‘सामाजिक इतिहास का प्रतीक’ बताया है।

बर्नियर ने लगभग पूरे भारत की यात्रा की और जो देखा उसका विवरण दिया। उसने अपना यात्रा-विवरण ‘ट्रैवल्स इन द मुगल एंपायर’ फ्रांस के शासक लुई चौदहवें को समर्पित किया था। बर्नियर ने अपने यात्रा-विवरण में समकालीन राजनीतिक घटनाओं, हिंदुस्तान के विभिन्न भागों के निवासियों, उत्पादनों, महत्त्वपूर्ण राजनीतिक व्यक्तियों, व्यापार-वाणिज्य की स्थिति, व्यापारिक मार्गों के सरायों तथा विश्रामगृहों, भारत की ओर होने वाले सोने और चाँदी के प्रवाह, अमीर वर्ग की संरचना, काश्तकारों एवं कृषि की स्थिति, सामाजिक रीति-रिवाजों और कश्मीर के शाल उद्योग आदि का सजीव और तथ्यपूर्ण वर्णन किया है।

मार्को पोलो को ‘मध्यकालीन यात्रियों का राजकुमार’ कहा जाता है। उसने अपने यात्रा-विवरण में भारत के आर्थिक जीवन, विशेषकर दक्षिण भारत के राज्यों की आर्थिक समृद्धि, विदेशी व्यापार और वाणिज्य का आश्चर्यजनक वर्णन किया है। मार्को पोलो के अनुसार पांड्य राज्य मावर मोतियों के लिए प्रसिद्ध था। उसने काकतीय वंश की शासिका रुद्रंबादेवी का उल्लेख किया है। वह एकमात्र विदेशी यात्री है, जिसके योगदान को इब्नबतूता के समकक्ष माना जाता है।

लेकिन उसने ने सुल्तान कैकूबाद की क़त्ल कर दिया

हालाँकि महमूद गज़नवी पृथ्वीराज चौहान को हराकर वापस लौट गया था

तारीख-ए-फरिश्ता (मुहम्मद कासिम हिंदूशाह या फरिश्ता)

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इस प्रकार कल्हण ने राजतरंगिणी में इतिहास को इतिहास मानकर तथ्यों को निष्पक्ष और प्रामाणिक ढंग से प्रस्तुत किया है और एक इतिहासकार के उत्तरदायित्व को पूर्णतया निभाया है। अकबर ने राजतरंगिणी का अनुवाद फारसी में करवाया था।

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